राज्य मानवाधिकार आयोग
- मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 केन्द्र के साथ-साथ राज्यों में राज्य मानवाधिकार आयोग के गठन का प्रावधान करता है।
- अब तक देश में 26 राज्यों द्वारा मानवाधिकार आयोगों का गठन किया जा चुका है।
- राज्य मानवाधिकार आयोग एक सांविधिक ( वैधानिक निकाय है।
- राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग का गठन 18 जनवरी, 1999 को किया जो कि क्रियाशील मार्च, 2000 को हुआ।
आयोग की संरचना
- आयोग में एक अध्यक्ष व दो सदस्य सहित कुल तीन सदस्य होते है।
- उल्लेखनीय है कि मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2006 से पूर्व आयोग की सदस्य संख्या 5 निर्धारित थी। इस अधिनियम द्वारा सदस्य संख्या 5 से घटाकर 3 कर दी गई।
- मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) , 2019 द्वारा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सदस्य संख्या 3 से बढ़ाकर 4 कर दी गई लेकिन राज्य मानवाधिकार आयोग की सदस्य संख्या में कोई परिवर्तन नहीं किया गया अर्थात् राज्य मानवाधिकार आयोग में वर्तमान में 1 अध्यक्ष तथा 2 सदस्य होते हैं।
राज्य मानवाधिकार आयोग 'एक बहुसदस्यीय निकाय' है, जिसमें –
(i) एक अध्यक्ष, जो उच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश या उच्च न्यायालय का अन्य न्यायाधीश होता है।
नोट- मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम (संशोधन) 2019 द्वारा उच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीश के अध्यक्ष बनाने का प्रावधान किया गया है जबकि संशोधन से पूर्व केवल उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश ही अध्यक्ष बन सकता था।
(ii) दो अन्य सदस्य राज्य के जिला न्यायालय का कोई न्यायाधीश, जिसे सात वर्ष का अनुभव हो या कोई ऐसा व्यक्ति जिसे मानव अधिकारों के चारे में विशेष अनुभव हो, वे भी आयोग के सदस्य बन सकते हैं।
नियुक्ति
आयोग के अध्यक्ष एवं अन्य सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा एक समिति की अनुशंसा पर की जाती है इस समिति में निम्न सदस्य शामिल है
- राज्य का मुख्यमंत्री
- विधानसभा का अध्यक्ष
- विधानसभा में विपक्ष का नेता
- राज्य का गृहमंत्री
- राज्य विधानपरिषद् का अध्यक्ष व विधान परिषद् में विपक्ष का नेता (यदि राज्य में विधान परिषद हो तो)
- इनके अतिरिक्त एक सदस्य के रूप में राज्य उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश के परामर्श के बाद राज्य के उच्च न्यायालय के कार्यरत न्यायाधीश या जिला न्यायालय के कार्यरत न्यायाधीश को राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्यों की चयन समिति में नियुक्त किया जाता है।
कार्यकाल
- आयोग के अध्यक्ष एवं अन्य सदस्यों का कार्यकाल 3 वर्ष या 70 वर्ष की आयु दोनों में से जो पहले हो तक होता है।
- आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्य पुनः नियुक्ति के पात्र भी होते है।
नोट- पहले अध्यक्ष तथा सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्ष का होता था जिसे मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2019 द्वारा 3 वर्ष कर दिया तथा पुनः नियुक्ति का प्रावधान भी शामिल कर दिया गया है। (यदि 70 वर्ष आयु पूर्ण नहीं हुई हो तो)
- आयोग से कार्यकाल पूर्ण होने के पश्चात् अध्यक्ष व अन्य सदस्य, केन्द्र सरकार या राज्य सरकार के अधीन कोई सरकारी पद ग्रहण नहीं कर सकते।
- राज्य मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष व सदस्य राज्यपाल को संबोधित त्यागपत्र देकर पदमुक्त हो सकते हैं।
हटाये जाने संबंधी प्रावधान
- राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष व अन्य सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल करते हैं, लेकिन इन्हें पद केवल राष्ट्रपति हटा सकते है।
- राष्ट्रपति इन्हें उसी प्रकार हटा सकते है, जिस प्रकार राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों को हटा सकते है अर्थात् निम्नलिखित परिस्थितियों में हटा सकते है
- यदि वह दिवालिया हो गया हो।
- यदि कार्यकाल के दौरान उसने कोई लाभ का पद धारण कर लिया हो।
- यदि वह मानसिक रूप से अस्वस्थ हो तथा न्यायालय ने उसे अक्षम घोषित किया हो।
- यदि वह किसी अपराध में दोषसिद्ध किया गया हो तथा कारावास की सजा दी गई हो।
- इनके अलावा अध्यक्ष व सदस्यों को सिद्ध कदाचार या अक्षमता के आधार पर पद हटाने के लिए राष्ट्रपति मामले की जाँच सर्वोच्च न्यायालय को भेजते है तथा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जाँच में सही पाये जाने पर उसकी सलाह पर राष्ट्रपति अध्यक्ष व सदस्यों को पद से हटा देते है।
वेतन-भत्ते
- राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों के वेतन-भत्ते एवं सेवा शर्तों का निर्धारण राज्य सरकार करती है।
- कार्यकाल के दौरान उनके वेतन-भत्तों में अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जा सकता।
आयोग के कार्य
- मानवाधिकारों के उल्लंघन की जाँच करना।
- न्यायालय में लंबित किसी मानवाधिकार से संबंधित कार्यवाही में हस्तक्षेप करना।
- जेलों व बंदीगृहों में जाकर वहाँ की स्थिति का अध्ययन कर व इस बारे में सिफारिश करना ।
- मानवाधिकार की रक्षा हेतु बनाए गए संवैधानिक व विधिक उपबंधों की समीक्षा करना तथा इनके प्रभावी कार्यान्वयन की सिफारिश करना।
- मानवाधिकार के क्षेत्र में शोध कार्य करना तथा उन्हें प्रोत्साहित करना।
- आतंकवाद सहित उन सभी कारणों की समीक्षा करना जिनसे मानवाधिकार उल्लंघन होता है तथा इनसे बचाव के उपाय करना।
- मानवाधिकारों के प्रति लोगों में चेतना जाग्रत करना तथा इनके संरक्षण हेतु प्रोत्साहित करना।
- मानवाधिकार क्षेत्र में कार्य करने वाले गैर सरकारी संगठनों को सहयोग एवं प्रोत्साहित करना।
आयोग की कार्य प्रणाली
- राज्य मानवाधिकार आयोग का मुख्यालय कार्यालय ऐसे स्थान पर होगा जैसा राज्य सरकार अधिसूचना द्वारा विनिर्दिष्ट करें।
- आयोग को अपने कार्यों को सम्पन्न करने के लिए दीवानी न्यायालय की शक्तियाँ दी गई है। यह उसी के समान अपनी कार्यवाही को सम्पन्न करता है।
- यह किसी मामले की सुनवाई के लिये राज्य सरकार या किसी अन्य अधीनस्थ प्राधिकारी को निर्देश दे सकता है।
- राज्य मानवाधिकार आयोग केवल एक वर्ष की अवधि के भीतर के मामलों की ही सुनवाई जाँच कर सकता है।
आयोग की अधिकारिता
- राज्य मानवाधिकार आयोग केवल उन्हीं मामलों में मानव अधिकार उल्लंघन की जाँच कर सकता है, जो संविधान की राज्य सूची (सूची-II) व समवर्ती सूची (सूची-III) के अंतर्गत आते हैं।
- लेकिन यदि किसी मामले की जाँच पहले से ही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग या किसी अन्य विधिक निकाय द्वारा की जा रही है, तो ऐसे मामलों की जाँच राज्य मानवाधिकार आयोग नहीं कर सकता।
- मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2019 द्वारा प्रावधान किया गया है कि राज्य मानवाधिकार आयोग के सचिव आयोग के अध्यक्ष के नियंत्रणाधीन सभी प्रशासनिक एवं वित्तीय शक्तियों का उपयोग कर सकते है।
- आयोग की अपनी एक अन्वेषण एजेंसी है जिसका नेतृत्व ऐसे पुलिस अधिकारी द्वारा किया जाता है जो महानिरीक्षक पुलिस के पद से कम स्तर का नहीं हो।
आयोग द्वारा जांच पश्चात् उठाये कदम
- यह पीड़ित व्यक्ति को क्षतिपूर्ति या नुकसान के भुगतान हेतु संबंधित सरकार या प्राधिकरण को सिफारिश कर सकता है।
- पीड़ित व्यक्ति को तत्काल अंतरिम सहायता प्रदान करने की सिफारिश कर सकता है।
- यदि दोषी कोई लोक सेवक है, तो उसके विरुद्ध बंदी प्रत्यक्षीकरण की कार्यवाही प्रारंभ करने की सिफारिश कर सकता है।
- आयोग किसी भी आदेश, निर्देश अथवा रिट के लिए सर्वोच्च या उच्च न्यायालय में जा सकता है।
आयोग
की भूमिका
- आयोग का कार्य विशुद्ध रूप से सलाहकारी प्रकृति का होता है। इसे मानवाधिकार का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को सजा देने का अधिकार नहीं होता और न ही पीड़ित व्यक्ति को कोई आर्थिक सहायता या मुआवजा देने का अधिकार होता।
- आयोग की सलाह राज्य सरकार या अन्य प्राधिकारी के लिए बाध्यकारी नहीं है लेकिन इतना आवश्यक हैं कि आयोग द्वारा दी गई किसी सलाह पर क्या कदम उठाया गया है, इसकी जानकारी आयोग को एक माह मैं देना अनिवार्य है।
आयोग की रिपोर्ट
- राज्य मानवाधिकार आयोग अपना वार्षिक या विशेष प्रतिवेदन राज्य सरकार को प्रेषित करता है तथा सरकार इसे विधायिका के समक्ष प्रस्तुत करती है।
- इस प्रतिवेदन में यह भी बताया जाता है कि आयोग द्वारा दी गई अनुशंसाओं पर राज्य सरकार ने क्या कदम उठाये है। यदि आयोग की किसी सलाह को राज्य सरकार ने नहीं माना है, तो इसके कारणों का तर्कपूर्ण उत्तर दिया जाना आवश्यक है
राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग
मानव अधिकार संरक्षण
अधिनियम, 1993 के तहत राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग का गठन 18 जनवरी, 1999 को किया
जो कि क्रियाशील मार्च, 2000 को हुआ था।
राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग के उद्देश्य
- राज्य में मानव अधिकारों की रक्षा हेतु निगरानी संस्था के रूप में कार्य करना।
- 1993 के अधिनियम की धारा-2 (घ) में मानव अधिकारों को परिभाषित किया है।
- आयोग का सचिव राज्य सरकार का सचिव स्तर का अधिकारी होगा।
- आयोग की अन्वेषण एजेंसी है, जिसका नेतृत्व महानिरीक्षक पुलिस स्तर का पदाधिकारी करता है।
आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्य
- वर्तमान में आयोग
के अध्यक्ष न्यायाधीश गोपालकृष्ण व्यास है तथा आयोग के एक अन्य सदस्य भूतपूर्व (IPS) महेश गोयल है।
- राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग की प्रथम अध्यक्षा न्यायाधीश कांता भटनागर थी।
आयोग के अध्यक्ष
अध्यक्ष |
समय |
अध्यक्ष न्यायाधीश कांता भटनागर |
समय 23-03-2000 से 11-08-2000 तक |
न्यायाधीश एस. सगीर अहमद |
16-02-2001 03-06-2004 |
न्यायाधीश एन.के. जैन |
16-07-2005 15-07-2010 |
न्यायाधीश प्रकाश टांटिया |
11- 203-2016 से 23-11- 2019 तक |
न्यायाधीश गोपालकृष्ण व्यास |
23-01-2021 से वर्तमान तक |
आयोग के सदस्य
सदस्य |
समय |
अमर सिंह गोदारा |
07-07-2000 06-07-2005 तक |
आरके, अकोदिया |
25-03-2000 से 24-03-2005 तक |
श्री बी. एल जोशी |
25-03-2000 से 31-03-2004 तक |
प्रो. आलम शाह खान |
24-03-2000 से 16-05-2003 तक |
श्री नमो नारायण मीणा |
11-09-2003 से 23-03-2004 तक |
श्री धर्म सिंह मीणा |
07-07-2005 06-07-2010 तक |
न्यायाधीश जगत सिंह |
10-10-2005 09-10-2010 तक |
श्री पुखराज सीखी |
15-04-2004 13-04-2011 तक |
श्री एच. आर. कुरी |
01-09-2011 से 31-08-2016 तक |
एन. के. देवराजन |
01-09-2011 से 31-08-2016 तक |
न्यायाधीश महेश चन्द्र शर्मा |
03-10-2018 से 29-04 2021 तक |
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