मुसलमानों के प्रमुख त्योहार
मुस्लिम माह हिजरी संवत् के अनुसार चलते हैं। जब मोहम्मद साहब मक्का छोड़कर मदीना गये थे, उसी दिन से यह हिजरी संवत् 622 ई. से शुरू हुआ था।
1.मुहर्रम (मोहर्रम माह की 10 ता.)-
हिजरी संवत् का पहला महीना मोहर्रम है। मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन ने कर्बला (इराक) के मैदान में सत्य और इंसाफ के लिये जुल्म और सितम से लड़ते हुए अपनी शहादत (कुर्बानी) दी थी इसलिए मुस्लिम समुदाय इस दिन ताजिये निकालते हैं। मुस्लिम समुदाय इस दिन को कुर्बानी दिवस के रूप में मनाते हैं।
2. चेहल्लम (सफर की 20 ता.)-
हजरत इमाम हुसैन की मृत्यु के चालीस दिन बाद यह त्योहार मनाया जाता है।
3. बारह वफात (रवी उल अव्वल माह की 12 ता.) -
इसे ईद उल-मिलादुल्लनबी कहते हैं। इसको मोहम्मद साहब के जन्म (570) ई., मक्का-सऊदी अरब में) की याद में मनाते हैं।
4. शब-ए-बारात (सावन माह की 14 ता.)-
इस दिन हजरत मोहम्मद साहब खुदा से मिले थे और इस दिन अल्लाह मनुष्यों के कार्यों की जाँच करता है इसी कारण इस दिन मुसलमान भाई अल्लाह से अपनी भूलों व पापों के लिए माफी माँगते हैं।
5. शब-ए-कद (रमजान माह की 27 ता.)-
इस दिन कुरान को लिपिबद्ध किया गया अर्थात् कुरान का धरती पर अवतरण हुआ था।
6. ईद-उत-फितर (शव्वाल माह की 1 ता.) -
इसे मीठी ईद या सिवैयों की ईद कहते हैं। यह भाईचारे का त्योहार है, जिसे मुस्लिम समुदाय 30 दिन रोजे रखने के बाद अल्लाह का शुक्रिया अदा करने के लिहाज से मनाते हैं।
7. ईद-उल-जुहा (जिल हिज माह की 10 ता.)-
इसे बकरा ईद व बड़ी ईद कहते हैं। यह कुर्बानी का त्योहार (हजरत इब्राहिम ने इस दिन अपने बेटे हजरत इस्माइल की अल्लाह को कुर्बानी दी थी। कुर्बानी के बाद जब पर्दा हटाया गया, तो वहाँ कटी हुई भेड़ मिली, इसी कारण इस दिन प्रतीक स्वरूप मुस्लिम समुदाय में भेड़ या बकरी काटी जाती है) है, इस दिन हाजी हज पूरा करते हैं ।
ध्यात्वय रहे:- इस दिन राज्य के टोंक जिले में ऊँट की बलि दी जाती है।
8. शब-ए-मेराज (27 रज्जब)-
इस रात पैगम्बर मोहम्मद साहब ने अल्लाह तआला से मुलाकात की और उन्हें तोहफे में नमाज मिली जिसे मुसलमान एक दिन में पाँच वक्त अदा करते हैं।
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